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अपने बच्चों को वक़्त देना बहुत जजज होता है

बेटा होमवहोमव्क फिनिश क क फि खेलने खेलने जाना, तुम बिल्कुल भी पढ़ाई पप ध्यान नही देते देते देते देते. " " " " मेमेा दिमाग ख ख मत क क क क क हुए हुए अपन म माँ अपने को डांटते हुए अपना फेसबुक स्टेटस चेक क लगी लगी लगी.

" .आयुुुष के घघ का ऐसा ही माहौल था, मम्मी मोबाइल में बिजी हती औ पापा टीवी में मस्त हते हते औ औ पापा टीवी मस मस्त. " लगाया है फिर तुम क्यों नही पढ़ते ? " भी. उनका मानना ​​था कि बड़े और महंगे स्कूल में एडमिशन करवा के औऱ ट्यूशन लगा कर उनकी जिम्मेदारी खत्म हो गयी.दोस्तो ज्यादातर मातापिता का यही मानना ​​है कि बड़े और महंगे स्कूल और ट्यूशन लगाकर बच्चे अपने आप पढ़ाई कर लेंगे, जबकि ऐसा नही है बच्चों को घर मे अगर मातापिता पढ़ाई का माहौल नही देंगे तो महंगा स्कूल और ट्यूशन कुछ नही कर सकता.बच्चे को मातापिता का समय चाहिये होता है उसे घर मे ऐसा माहौल मिलना चाहिए जिससे वो अपने मातापिता से अपनी सारी समस्या खुल कर डिस्कस कर सके.इसलिए हर " आपकी जिम्मेदाी खत्म नही हो जाती, बच्चों की प प में में मातापिता का एहम ोल होता है, अपने बच्चो को वक़्त दीजिये. Die in diesem Beitrag zum Ausdruck gebrachten Ansichten, Meinungen und Positionen (einschließlich Inhalten in jeglicher Form) sind allein die des Autors. Die Richtigkeit, Vollständigkeit und Gültigkeit aller in diesem Artikel gemachten Aussagen wird nicht garantiert. Wir übernehmen keine Haftung für Fehler, Auslassungen oder Darstellungen. Die Verantwortung für geistige Eigentumsrechte an diesen Inhalten liegt beim Autor und jegliche Haftung in Bezug auf die Verletzung von geistigen Eigentumsrechten verbleibt bei ihm/ihr.